प्राकृतिक सौंदर्य वह है जो हमें प्रकृति ने प्रदान किया है जैसे प्रकृति में फूल बनाकर हम सबको प्रेम का संदेश दिया है प्रकृति सदैव हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं जैसे फूलों का खिलना, पक्षियों का चहचाहना, नदियों का बहना, झरनों का चलना, आसमान का नीला रंग, पशुओं की वफ़ादारी, मानव का दया भाव ये कई तरह के उपहार हैं|
जो हमें प्रकृति ने दिये हैं
हम सदा प्रकृति से सीखते हैं और जो सीखते हैं उसको हम अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं
प्रकृति भी हमें इन सबके बदले कुछ देना चाहिए-
इसके लिए हमें क्या करना चाहिये-
हमें पक्षियों के लिए गर्मी के मौसम में पानी उपलब्ध करवाना चाहिए
जानवरों का ध्यान रखना चाहिए
प्रकृति ने हमें सुनाया
प्रकृति ने हमें दिखाया
कभी इसे मत सिखाना
यह जो सिखाती है
वह हम कभी नहीं सीखे होते हैं
प्रकृति से सीखो
प्रकृति से जानो कैसे जीवन जीना है
प्रकृति कभी ना किसीको करती दुखी
ना करती हैं सुखी
वह सबको समान देती है
अपना-अपना हक़ है
राग रुप में साथ होती
दुख में भी अपने साथ होती
वह कभी ना होती हमसे नाराज
वह हमें ना कभी सताती
फिर भी हम उसे सताते
प्रकृति से सीखो
कितना सरल होती है
जंगल काटे हमने
पेड़ उखाड़े हमने
बस्तियां बसाई हमने
पहाड़ उजाड़े हमने
प्रकृति से मत लो पंगा
सजाओ इसे अपनी मेहनत से
ये तुमको देगी जीवन का वो रंग
जो हर वक्त रहेगा आपके संग
हजार बार तुम खुद को समझाओ
बार-बार तुम इसे सजाओ
तुमको मिलेगा कई गुना अधिक
तुम इसे मत आजमाओ
पहाड़ों से पूछो
नदियों से पूछो
जंगलों से पूछो
क्या तुमको कभी इन्होंने दुख पहुंचाया
फिर भी तुम उतावले हो इन को नष्ट करने पर
क्यों करते हो ऐसा काम जो हो सभी के अहित में
तुम इसे सजाओ
यह तुमको हजार गुना अधिक देगी
प्रकृति हैं परम आशीर्वाद देगी
मत करो जंगलों को नष्ट
मत मोड़ो नदियों को दूसरी ओर
अगर यह आ गई प्रकृति अपनी पर
प्रलय हो जाएगा इस धरती पर
मत उजाड़ो इनको ये जीवन का सार हैं
---------------------------------------------------------------------
जो हमें प्रकृति ने दिये हैं
हम सदा प्रकृति से सीखते हैं और जो सीखते हैं उसको हम अपने जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं
प्रकृति भी हमें इन सबके बदले कुछ देना चाहिए-
इसके लिए हमें क्या करना चाहिये-
हमें पक्षियों के लिए गर्मी के मौसम में पानी उपलब्ध करवाना चाहिए
जानवरों का ध्यान रखना चाहिए
Beauty-Nature |
मेरी एक कविता
प्रकृति ने हमें सुनायाप्रकृति ने हमें दिखाया
कभी इसे मत सिखाना
यह जो सिखाती है
वह हम कभी नहीं सीखे होते हैं
प्रकृति से सीखो
प्रकृति से जानो कैसे जीवन जीना है
प्रकृति कभी ना किसीको करती दुखी
ना करती हैं सुखी
वह सबको समान देती है
अपना-अपना हक़ है
राग रुप में साथ होती
दुख में भी अपने साथ होती
वह कभी ना होती हमसे नाराज
वह हमें ना कभी सताती
फिर भी हम उसे सताते
प्रकृति से सीखो
कितना सरल होती है
जंगल काटे हमने
पेड़ उखाड़े हमने
बस्तियां बसाई हमने
पहाड़ उजाड़े हमने
प्रकृति से मत लो पंगा
सजाओ इसे अपनी मेहनत से
ये तुमको देगी जीवन का वो रंग
जो हर वक्त रहेगा आपके संग
हजार बार तुम खुद को समझाओ
बार-बार तुम इसे सजाओ
तुमको मिलेगा कई गुना अधिक
तुम इसे मत आजमाओ
पहाड़ों से पूछो
नदियों से पूछो
जंगलों से पूछो
क्या तुमको कभी इन्होंने दुख पहुंचाया
फिर भी तुम उतावले हो इन को नष्ट करने पर
क्यों करते हो ऐसा काम जो हो सभी के अहित में
तुम इसे सजाओ
यह तुमको हजार गुना अधिक देगी
प्रकृति हैं परम आशीर्वाद देगी
मत करो जंगलों को नष्ट
मत मोड़ो नदियों को दूसरी ओर
अगर यह आ गई प्रकृति अपनी पर
प्रलय हो जाएगा इस धरती पर
मत उजाड़ो इनको ये जीवन का सार हैं
---------------------------------------------------------------------
प्रकृति और संस्कृति में अंतर
--प्रकृति में जल, हवा, जीव, जंतु, आदि सभी आते हैं जो कि हमारे आसपास होते हैं वही प्रकृति हैं|
--संस्कृति में हमारी रिति रिवाज, रहन-सहन के तरीके आदि को शामिल किया जाता है सामान्य अर्थ में विस्तार से इसका अर्थ बहुत बड़ा हो सकता है|
0 Comments